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‘Yasin Malik कोई साधारण आतंकवादी नहीं हैं’, सुप्रीम कोर्ट में तुषार मेहता ने क्यों कहा ऐसा?

जम्मू और कश्मीर के अलगाववादी नेता Yasin Malik की व्यक्तिगत पेशी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक महत्वपूर्ण सुनवाई हुई। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने जम्मू और कश्मीर की टीएडीए अदालत में यासीन मलिक की व्यक्तिगत पेशी का विरोध किया। सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने यासीन मलिक को साधारण आतंकवादी न मानते हुए कहा कि वह एक बड़ा खतरा हैं। उन्होंने यह भी कहा कि मलिक पाकिस्तान लगातार जाते रहे हैं और वह हाफिज सईद के साथ मंच पर भी दिख चुके हैं। CBI ने यह तर्क दिया कि यासीन मलिक की जम्मू और कश्मीर में पेशी से राज्य का माहौल बिगड़ सकता है और गवाहों की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है।

क्या है पूरा मामला?

यह मामला उस समय का है जब जम्मू और कश्मीर के टीएडीए अदालत ने सितंबर 2022 में यासीन मलिक को भारतीय वायुसेना के चार जवानों की हत्या और रुबैया सईद के अपहरण के मामले में व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया था। इस फैसले के खिलाफ CBI ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की और मलिक की पेशी को लेकर आपत्ति जताई। CBI ने कहा कि यासीन मलिक के जम्मू और कश्मीर में पेश होने से राज्य का माहौल खराब हो सकता है, साथ ही गवाहों की सुरक्षा भी खतरे में पड़ सकती है।

तुषार मेहता का बयान

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यासीन मलिक कोई साधारण आतंकवादी नहीं हैं। उन्होंने कहा, “मलिक पाकिस्तान जाते रहे हैं और हाफिज सईद जैसे आतंकवादी के साथ मंच साझा कर चुके हैं। यदि वह जम्मू और कश्मीर आते हैं तो इससे राज्य का माहौल बिगड़ सकता है।” तुषार मेहता ने आगे कहा कि अगर मलिक अपनी पेशी पर अड़े रहते हैं, तो यह मामला दिल्ली में स्थानांतरित किया जा सकता है।

'Yasin Malik कोई साधारण आतंकवादी नहीं हैं', सुप्रीम कोर्ट में तुषार मेहता ने क्यों कहा ऐसा?

सुप्रीम कोर्ट का रुख

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि अगर यासीन मलिक की व्यक्तिगत पेशी संभव नहीं हो पाती है, तो उसे वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पेश किया जा सकता है। न्यायमूर्ति ओक ने कहा कि हमारे देश में अजमल कसाब को भी निष्पक्ष सुनवाई का अवसर दिया गया था, तो यासीन मलिक को भी यह अवसर मिलना चाहिए। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि गवाहों की सुरक्षा के मामले में सरकार को पूरी जानकारी देनी होगी और यह भी बताया जाना चाहिए कि कितने गवाहों को सुरक्षा की आवश्यकता है।

गवाहों की सुरक्षा पर चिंता

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने गवाहों की सुरक्षा पर चिंता जताते हुए कहा कि इस मामले में पहले भी एक गवाह की हत्या हो चुकी है। उन्होंने कहा कि यासीन मलिक की व्यक्तिगत पेशी से गवाहों की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है और राज्य का माहौल भी बिगड़ सकता है।

अदालत का आदेश और आगामी सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि यासीन मलिक वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से भी पेश हो सकते हैं। इसके अलावा, कोर्ट ने एसजी तुषार मेहता से यह भी कहा कि वह गवाहों की सुरक्षा और बाकी आरोपियों के बारे में जानकारी अदालत में प्रस्तुत करें। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई अगले गुरुवार को निर्धारित की है।

CBI की चिंता – राज्य का माहौल और गवाहों की सुरक्षा

CBI ने यासीन मलिक की व्यक्तिगत पेशी को लेकर जो प्रमुख चिंता जताई, वह यह है कि मलिक का जम्मू और कश्मीर में आना राज्य का माहौल खराब कर सकता है। इससे न सिर्फ गवाहों की सुरक्षा पर असर पड़ेगा, बल्कि यह अन्य राजनीतिक और सामाजिक तनाव भी उत्पन्न कर सकता है। इसके अलावा, मलिक की पेशी से जुड़े सुरक्षा मुद्दे भी गंभीर हो सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट में यासीन मलिक की व्यक्तिगत पेशी को लेकर CBI ने जो तर्क दिए, वे गंभीर सुरक्षा चिंताओं को उठाते हैं। इस मामले में आगे क्या कदम उठाए जाएंगे, यह देखना दिलचस्प होगा। लेकिन यह मामला यह दर्शाता है कि देश में आतंकवाद और अलगाववाद से जुड़ी मामलों में न्याय प्रक्रिया कितनी जटिल हो सकती है, खासकर जब सुरक्षा और गवाहों की जान को खतरा हो।

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